2.नीचे दिए गए पद्याँश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए:- 5 आज पहली बार थकी शीतल हवा ने शीश मेरा उठाकर, चुपचाप अपनी गोद में रखा, और जलते हुए मस्तक पर काँपता-सा हाथ रखकर कहा- "सुनो, मैं भी पराजित हूँ, सुनो, मैं भी बहुत भटकी हूँ. सुनो, मेरा भी नहीं, कोई सुनो, मैं भी कहीं अटकी हूँ, पर न जाने क्यों पराजय ने मुझे शीतल किया, और हर भटकाव ने गति दी, नहीं कोई था इसी से सब हो मेरे, मैं स्वयं को बाँटता किसी ने मुझको नहीं यति दी। १. इस कविता के लिए एक उचित शीर्षक दीजिए। २.'आज पहली बार' - से कवि का क्या तात्पर्य है ? ३.कवि किस बात से दुखी था? ४.कवि को थकी शीतल हवा ने किस प्रकार सांत्वना दी? ५.हवा की किस बात ने कवि को प्रभावित किया?
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१. इस कविता का उचित शीर्षक हैं हवा.
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