2. न
कश्चित् कस्यचित् मित्रम्, न कश्चित् कस्यचिद् रिपुः।
व्यवहारेण जायन्ते,
मित्राणि
रिपवस्तथा।।
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Explanation:
न कोई किसी का मित्र है और न ही शत्रु, कार्यवश ही लोग मित्र और शत्रु बनते हैं॥
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