2. निम्नांकित काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या लिखें।
हर गली, सड़क, चौराहे पर
भाषण की गंगा बहती है,
हर एक समझदार नर-नारी के
कानों में कहती रहती है-
मत पुण्य करो, मत पाप करो,
मत राम-नाम का जाप करो,
कम-से-कम दिन में एक बार-
भई, भाषण दो! भई, भाषण दो!!
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हर एक समझदार नर-नारी के
कानों में कहती रहती है-
मत पुण्य करो, मत पाप करो,
मत राम-नाम का जाप करो,
कम-से-कम दिन में एक बार-
भई, भाषण दो! भई, भाषण दो!!
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