2-निम्न काव्यांश को पढकर प्रश्नो के उत्तर दीजिए।
अपना देश संवारे हम,अपनी इस पावन धरती का,आओ रूप निखारे हम। अपना देश संवारे हम।
नए सृजन के संवाहक हम,प्रगति पंथ के राही है,हम प्रतिबद्ध पहरुए युग के,हम सन्नड सिपाही हैं
कर्म हमारे बने कुदाली,कर्म हमलों के बाद बनें, कर्म बनें तलवार शत्रु की, कर्म देश की ढाल बनें ।
नए भगीरथ बन, वैचारिक गंगा नदी उतारे हम।
हमें देश की रक्षा करनी है प्रतिकूल हवाओं से, हमको है घर-द्वार सजाने नई-नई आशाओं से।
(क) कर्मों को कुदाली और बाल बनाने की इच्छा से आप क्या समझते हैं?
(ख) कवि नई आशाओं का संचार क्यों करना चाहते हैं?
(ग) प्रतिकूल हवाओं से क्या आशय है?
(घ) कवि ने अपने देश के बारे में क्या कहां है?
(छ) "नए भगीरथ बन, वैचारिक गंगा नदी उतारे हम' पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
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sorry I didn't know the answer
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