Hindi, asked by nishataneja5678, 6 hours ago

2. निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

मानवता का उद्देश्य और मानव की सार्थकता केवल इसी में है कि वह अपने कल्याण के साथ दूसरों के कल्याण की भी सोच उसका कर्तव्य है कि स्वयं उठे और दूसरों को भी उठाए। आर्त और दीन की करुणा भरी पुकार से बड़ी बड़ी आँखों में छलकते हुए आँसुओं से, अशक्त और असहाय की याचनापूर्ण करुणा दृष्टि से, जिसका हृदय द्रवीभूत ना हुआ, तृप्ति और भूखों को अपने भूखे पेट पर हाथ फिराते हुए देखकर जिसने अपने सामने रखा हुआ भोजन नहीं दे दिया अपने पड़ोसी के घर में लगी हुई आग को देखकर जो उसकी रक्षा के लिए एकदम कूद ना पड़ा, कल की दमकती हुई चुनरी और सुहाग भरी चूड़ियों को उतरते और फूटते देखकर जिसका हृदय विदीर्ण नहीं हुआ, नदी की निष्ठुरता के कारण बहते हुए शिशुओं और रोती हुई माताओं को देखकर उनकी प्राण रक्षा के लिए जो सहसा जल राशि में कूद ना पड़ा, वह मनुष्य नहीं पशु है तुम्हारे पास यदि धन है तो निर्धनों की सहायता करो, यदि शक्ति है तो अशक्तों को अवलंब दो, यदि विद्या है तो वाद विवाद मत करो, अपितु उसको अशिक्षितों में वितरित करो, तभी सच्चे मनुष्य कहलाने के अधिकारी हो सकोगे। मानव जीवन का उद्देश्य केवल इतना ही नहीं कि खाओ पीओ और मस्त रहो। त्याग और बलिदान ही हमारी संस्कृति के मूल भाव है क्योंकि परहित सरिस धरम नहि भाई।"

क) मानव जीवन की सार्थकता किसमें निहित है?
(ख) किन किन परिस्थितियों में मानव का हृदय द्रवित होता है?
ग) मनुष्य सच्चा मनुष्य कहलाने का अधिकार कब बनता है? घ) मानव जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहिए?​

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Answered by waylandbarrientos354
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