Hindi, asked by nirviars, 6 months ago

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्रों के उत्तर दीजिए।
5/1-5
जब मैं वैयक्तिक और सामाजिक व्यवहार में अपनी भाषा के प्रयोग पर बल देता है तब निशिय ही
मेरा तात्पर्य यह नहीं हैं कि व्यक्ति को दूसरी अथवा विदेशी भाषाएँ सीखनी नहीं चाहिए। नहीं,
आवश्यकता, अनुकूलता और शक्ति के अनुसार अनेक भाषाएँ सीखनी चाहिए तथा उनमे से एकाधिक
में विशेष दक्षता भी प्राप्त करनी चाहिए। द्वेप किसी भी भाषा से नहीं करना चाहिए, क्योंकि किसी भी
प्रकार के ज्ञान की उपेक्षा करना उचित नहीं है, किन्तु प्रधानता सदैव अपनी ही भाषा और अपने
साहित्य को देनी चाहिए। अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने देश का सच्चा विकास और कल्याण
केवल अपनी भाषा के व्यवहार द्वारा ही संभव है। ध्यान रखिए - ज्ञान विज्ञान, धर्म राजनीति तथा
लोक व्यवहार के लिए सदा लोक भाषा का प्रयोग ही अभीष्ट है। अपने देश, समाज और अपनी मापा
की सेवा तथा वृद्धि करना सभी तरह से हमारा परम कर्त्तव्य है।
प्रश्न क) दिए गए गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
प्रश्र ख) अपनी भाषा के अतिरिक्त दूसरी भाषाएँ क्यों सीखनी चाहिए?
प्रश्र ग) दक्षता शब्द के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
प्रश्र घ) तुलनात्मक रूप में अपनी भाषा को महत्त्व क्यों देना चाहिए?
प्रश्र ङ) अपने देश और संस्कृति का विकास किस प्रकार संभव है?

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Answers

Answered by nikhilukoli2020
0

Answer:

ख) किउकी अगर आपकी काही भाहर अगर व्यवहार करणं चाहते होतो आपकी ऊस देश की भाषा आणि चाहिए

Answered by Arpita1678
3

Answer:

here is your answer

Explanation:

क)अपठित गद्यांश का शीर्षक – स्वभाषा का महत्व।

ख)दूसरी भाषाओं के ज्ञान को सीखने के लिए आवश्यकता, अनुकूलता, अवसर और शक्ति के अनुसार विविध भाषाएं सीखी चाहिए।

ग )विदेशी भाषा की तुलना में अपनी भाषा को महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि उसी से अपने देश, समाज और संस्कृति का कल्याण तथा विकास संभव है।

घ )कुशलता, प्रवीणता

ङ) स्वभाषा के विकास से अपने देश और अपनी संस्कृति का विकास संभव है।

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