Hindi, asked by dkdas1958, 5 months ago

2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए-
जब बीत गए वे दिन मेरे,
तो बीत जाएँगे ये दिन भी,
किस घाट बहा लाई मुझको, मेरे ही मन की अभिलाषा।
नयनों में सिंधु लिए अब तक, यह मृगतृष्णा का मृग प्यासा।।
जिस ओर कदम मैं रखता हूँ,
दुर्दिन की बस्ती बसती है।
पर इस परिवर्तन के जग में,
सुख-दुख की भी कुछ हस्ती है
जब-जब मन हो उठता उदास, कोई यह कहता रहता है-
जब हास अमर हो ही न सका, तो टिक न सकेगा क्रंदन भी।
तन शिथिल, मलीन वसन मेरे, पथ के साथी सब तितर-बितर।
अब मेरा मन बहलाने की, आती स्मृति जब-तब सिहर-सिहर।।
तब से अब तक पथ पर कितने, पतझर भी मिले वसंत मिले।
पर मैं उस पथ का पंथी हूँ। जिसका न आदि, न अंत मिले।।
(क) कवि के मन की अभिलाषा को अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) 'यह मृगतृष्णा का मृग प्यासा'- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by SachinVijayasekar
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Answer:

IF YOU MARK ME THE BRAINLIEST/THANKS YOU WILL SCORE FULL IN YOUR EXAMS

Explanation:

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