2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
"आज जीत के रात,
पहरुए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना।
ऊँची हुई मशाल हमारी,
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हार गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है।
शोषण से है मृत समाज..
कमजोर हमारा घर है।
किन्तु आ रही नई जिन्दगी
यह विश्वास अपर है।
जन गंगा में ज्वार
पहरूए सावधान रहना।
उचित विकल द्वारा उत्तर चुनिए-
प्रश्न-1 पहरूए का शाब्दिक अर्थ है-
(ख) पहरेदार से
(ग) सरकार से (घ) पुलिस से
प्रश्न-2 अबल दीपक समान में रहना में अलंकार है-
(क) रूपक अलंकार (ख) यमक अलंकार
(ग) अपमा अलंकार (घ) अनुप्रास अलंकार
प्रश्न-3 शत्रु की छाया का क्या अर्थ है?
प्रश्न- जन गंगा में ज्वार से क्या अभिप्राय है?
प्रश्न-5 अचल और अमर शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए-
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1=पहरेदार से
2=रूपक अलंकार
3=शत्रु का डर
4=पहरेदार सावधान रहें
5=1=चल 2=मृत
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Answer:
पहरूल का शाब्दिक अर्थ है
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