2. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर अपनी पाठ्य पुस्तक के आधार पर ही उत्तर दें-
तीसरे दिन सुबह तुमने मुझसे कहा, "मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।" यह आघात अप्रत्याशित था और इसकी चोट मार्मिक
थी। तुम्हारे सामीप्य की बेला एकाएक ही हो रबर की तरह खिंच जाएगी, इसका मुझे अनुमान न था। पहली बार मुझे लगा कि
अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
1. अतिथि के सामीप्य की बेला की तुलना किससे व क्यों की गई है?
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