Hindi, asked by ds7121553, 1 day ago

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (क) भगवान हस्तिनापुर क्यों गए थे? (ख) भगवान दुर्योधन से क्या अपेक्षा रखते थे? (ग) दुर्योधन की धृष्टता पर भगवान ने क्या किया? (घ) दुर्योधन किस असाध्य को साधने चला था? (ङ) युद्ध टालने के लिए पांडव किस सीमा तक समझौता करने के लिए तैयार थे? (च) कृष्ण की चेतावनी सुनकर सारी सभा सन्न थी किंतु धृतराष्ट्र और विदुर प्रसन्न थे। क्यों? ​

Answers

Answered by snehathorat685
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Answer:

क)

श्रीकृष्ण पांडवों का शांति प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर गए थे। ... वह चाहते थे कि पांडवों और कौरवों के मध्य संधि हो जाए और युद्ध की स्थिति टल जाए। श्रीकृष्ण जानते थे कि यदि यह प्रयास नहीं किया गया, तो भयंकर विनाश होगा।

ख)

अपनी नीतियों की असफलता और दुर्योधन की मूर्खता देख भगवान ने अपना विराट रूप धारण किया और उसे पूरी सृष्टि और महाभारत युद्ध के वीभत्स परिणाम का दर्शन करवा दिया और उसे बता दिया कि उसने उन्हें कैद करने की कोशिश करके कितनी बड़ी गलती कर दी और उसे अपना निर्णय देते हुए कहा दिया कि अब मनुहार करने का समय बीत गया अब युद्ध का समय आ गया है |

ग)

गांधारी की दृष्टि से दुर्योधन का पूरा शरीर वज्र का बन गया लेकिन जिस भाग पर केले का पत्ता लपेटा हुआ था वह वज्र का नहीं बन सका। गांधारी ने जब यह पूछा कि किसने तुम्हें केले का पत्ता लपेटकर आने की सलाह दी तो दुर्योधन ने श्री कृष्ण का नाम बताया।

घ)

दुर्योधन वह भी दे न सका, आशिष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।

ङ)

पांडवों के वनवास और अज्ञातवास की अवधि पूरी होने पर भी दुर्योधन ने जब युद्ध के बिना सुई की नोक के बराबर भी भूमि देने से इंकार कर दिया तो युद्ध निश्चित हो गया, पर युद्ध में भीषण संहार होगा, यह विचार कर महाभारत युद्ध को टालने के अंतिम प्रयास के रूप में भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर दुर्योधन को समझाने के उद्देश्य से ..

च)

श्रीकृष्ण को यह देखकर क्रोध आ गया कि दुर्योधन उनको बन्दी बनाना चाहता है। उन्होंने उसको युद्ध की चेतावनी दी। श्रीकृष्ण के कठोर शब्दों को सुनकर दुर्योधन की सभी के सदस्य सन्न रह गए। ... केवल धृतराष्ट्र और विदुर प्रसन्न थे और श्रीकृष्ण की जय बोल रहे थे।

Answered by SushmitaAhluwalia
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(क) श्रीकृष्ण पांडवों का शांति प्रस्ताव  हस्तिनापुर लेकर गए थे |

(ख) अपनी नीतियों की असफलता और दुर्योधन की मूर्खता देखकर भगवान ने अपना विराट रूप धारण किया |

(ग)जब कृष्ण ने दुर्योधन को क्रोधित रूप में विश्वरूप दिखाया, तो कवि विल्लीपुत्रार ने कहा कि उन्हें थोड़ा भी डर नहीं है।

(घ)दुर्योधन हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला था |

(ङ)युद्ध टालने के लिए पांडवो श्रीकृष्ण द्वारा  शांति प्रस्ताव भेजा |

(च)सभा में सन्नाटा छा गया था। सभी लोग डरगए  थे। कुछ तो डर के मारे बेहोश भी हो गए थे।

#SPJ5

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