2 निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर चार प्रश्न तैयार करे |
प्रतियोगिता का अर्थ है आगे बढ़ने की होड़ । प्रतियोगिता के वास्तव में दो रूप होते हैं स्वयं आगे बढ़ना और दूसरों को पीछे हटाना | स्वयं आगे बढ़ना प्रतियोगिता का रचनात्मक और कल्याणकारी स्वरूप है जबकि दूसरों को पीछे हटाना प्रतियोगिता का विनाशकारी स्वरूप हैं । दूसरों से आगे बढ़ने और बेहतर बनन की इच्छा ही मनुष्य को उन्नति के लिए प्रेरित करती है और उससेपरिश्रम करवाती है । प्रतियोगिता से मिली चुनौती से हमें अपने आपको दूसरों की तुलना में सुधारना पड़ता है और उनसे आगे निकलने के लिए भरपूर प्रयास करने पड़ते है | इससे मनुष्य स्वयं का मूल्यांकन करता है। अपनी नई खूबियों को पहचानता हैं । उसका व्यर्थ का घमंड टूटता है । उसे पता चल जाता है कि संसार में उससे भी अधिक प्रतिभाशाली लोग हैं । वह उनका सम्मान करना सिखता है।
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- प्रतियोगिता का क्या अर्थ है
- प्रतियोगिता के कितने रूप होते हैं
- इससे मनुष्य क्या करता है
- प्रतियोगिता से मिली चुनौती है उसे हम क्या करते हैं
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प्रश्न एक: प्रतियोगिता का अर्थ क्या है ?
प्रश्न दो: कौन सी इच्छा मनुष्य को उन्नति के लिए प्रेरित करती है और उससे परिश्रम करवाती है ?
प्रश्न तीन: मनुष्य कैसे अपना मूल्यांकन करता है ?
प्रश्न चार: प्रतियोगिता के वास्तव में कितने रूप हैं ?
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