Hindi, asked by Atul24P, 9 months ago

2. निम्नवाक्यानां निर्दिष्ट लकारे परिवर्तनं कुरुत।
(निम्न वाक्यों को निर्दिष्ट लकार में परिवर्तन कीजिए। Char
lakars.)
(क) एषा कपोती किं करोति?
(लृट् लकारे)
(ख) तत्रैव गच्छावः।
(लृट् लकारे)
(ग) अपत्यानि पीडाम् अनुभवन्ति। (लृट् लकारे
(घ) अस्माकं उपद्वारे एकं नीडम् अस्ति। (लृट् लकारे
(ट) कपोती स्वापत्याय खादयं दास्यति।
(लट लकारे​

Answers

Answered by ranyodhmour892
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संस्कृत में व्याकरण की परम्परा बहुत प्राचीन है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र का अध्ययन किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है ('वेदांग'

यस्य षष्ठी चतुर्थी च विहस्य च विहाय च।

यस्याहं च द्वितीया स्याद् द्वितीया स्यामहं कथम् ॥

- जिसके लिए "विहस्य" छठी विभक्ति का है और "विहाय" चौथी विभक्ति का है ; "अहम् और कथम्"(शब्द) द्वितीया विभक्ति हो सकता है। मैं ऐसे व्यक्ति की पत्नी (द्वितीया) कैसे हो सकती हूँ?

(ध्यान दें कि किसी पद के अन्त में 'स्य' लगने मात्र से वह षष्टी विभक्ति का नहीं हो जाता, और न ही 'आय' लगने से चतुर्थी विभक्ति का । विहस्य और विहाय ये दोनों अव्यय हैं, इनके रूप नहीं चलते। इसी तरह 'अहम्' और 'कथम्' में अन्त में 'म्' होने से वे द्वितीया विभक्ति के नहीं हो गये। अहम् यद्यपि म्-में अन्त होता है फिर भी वह प्रथमपुरुष-एकवचन का रूप है। इस सामान्य बात को भी जो नहीं समझता है, उसकी पत्नी कैसे बन सकती हूँ? अल्प ज्ञानी लोग ऐसी गलती प्रायः कर देते हैं। यह भी ध्यान दें कि उन दिनों में लडकियां इतनी पढी-लिखी थीं वे मूर्ख से विवाह करना नहीं चाहती थीं और वे अपने विचार रखने के लिए स्वतन्त्र थीं।)

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