2. “पुड्कोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह
सोचा ही नहीं था।
साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
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लेखक की दृष्टि में साइकिल एक विनम्र सवारी थी। उसने कभी भी सोचा ना था की साइकिल जैसी सवारी भी किसी के जीवन में इतना बदलाव ला सकती है । यह तो उसने पुडूकोटट्ई की महिलाओं द्वारा ही जाना क्योंकि यहां की महिलाओं को "मानसिक जागृति" देने का कार्य साइकिल ने ही किया था।
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साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है क्योंकि यह अपने मालिक की आज्ञा का सदैव पालन करती है। इसे चलाना बहुत सरल है। यह कभी काम करने से इंकार नहीं करती।
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