2. प्राचीन काल में जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार किनके द्वारा हुआ?
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प्राचीन काल में जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार कल्हन द्वारा किया गया था जिसने राजा तरंगिणि नामक पुस्तक लिखी थी।
प्राचीन काल में जम्मू कश्मीर में हिंदी का प्रचार कल्हन के द्वारा हुआ।
- उन्होंने तरंगिनि नामक पुस्तक लिखी ।
1947 के बाद से यहाँ शिक्षा का व्यापक प्रचार होने लगा है। उर्दू और बौद्धी के साथ साथ यहाँ के लोग हिन्दी के पठन पाठन में भी रुचि ले रहे हैं। इन पंक्तियों के लेखक को इस बात का गर्व है कि लद्दाख का प्रथम एम. ए. हिन्दी, श्री दुर्जेय छवाँग जो जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग में गत 12 वर्षों से हिन्दी प्रवक्ता के रूप में काम कर रहा है, लेखक का छात्र रहा है और अब तो राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के लेह केंद्र तथा बौद्ध दर्शन महाविद्यालय लेह के सतप्रयत्नों से वहाँ हिन्दी के जानकारों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। जम्मू क्षेत्र को मैं हिमाचल प्रदेश की ही भांति हिन्दी क्षेत्र ही मानता हूँ। अधिकांश लोग देवनागरी लिपि से परिचित हैं। नई पौध (80 प्रतिशत) देवनागरी लिपि और हिन्दी भाषा की जानकार है।
कश्मीर में स्वतंत्रता से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में सरकारी तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री गोपाल स्वामी अय्यंगर और शिक्षा निदेशक ख्वाजा ग़ुलामुसैयदैव (1940) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने देवनागरी और फ़ारसी लिपि में आसान उर्दू को राज्य के लिए शिक्षा का माध्यम स्वीकार किया