2. प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए।
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Explanation:
विकास के नाम पर पृथ्वी पर आज जिस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय किया जा रहा है, उसके कारण न केवल इन संसाधनों के स्रोत समाप्त हो रहे हैं बल्कि प्रदूषण में वृद्धि, प्रदूषण-जनित बीमारियों का प्रसार, सूखा पड़ने, मरुस्थलों का विस्तार, प्राकृतिक असन्तुलन जैसी विभिन्न समस्याएँ भी अपने पैर पसार रही हैं। यहाँ तक कि प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग में वृद्धि एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण प्राकृतिक आपदाओं के रूप में पृथ्वी पर कई प्रकार के उलट-फेर भी हो रहे हैं। जापान में सुनामी और भूकम्प द्वारा मचाई गई तबाही एवं जान-माल की हानि के सम्बन्ध में विशेषज्ञों की आम राय है कि इनसे उबरने में इस देश को कई वर्ष लग जाएँगे। स्पष्ट है कि प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दुरुपयोग के कारण हरी-भरी धरती मुरझा रही है तथा भोजन एवं पानी के प्राकृतिक स्रोत समाप्त हो रहे हैं। जलस्रोतों, जंगल और जमीन जैसे अनमोल संसाधनों के अपव्यय तथा इनके दुरुपयोग के कारण जो संकट हमारे सामने आज उपस्थित हुआ है, उसके निवारण के लिये सबसे पहले विद्यमान समस्या की गम्भीरता पर विचार करना सबसे जरूरी है।