2. पूर्ण ज्ञान का शुभ निकेतन का भाव रणार कीजिए।
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phone Gyaan ka Shukra Niketan Bazar aaj ka video nahi Samjha na Chahte Hain Ki Gyan ki Kundali Bhagya Hai To Kya usme kya hai aur usse Subramani Kasam Ke Aaunga
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फैली खेतों में दूर तलक,
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटी जिससे रवि की किरणें
चांदी की सी उजली जाली।
तिनके के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भूतल पर झुका हुआ
नभ का चिर निर्मल नील फलक।
इस कविता में गाँव के खेतों के सौंदर्य का चित्रण हुआ है। यदि आप गाँव में नहीं भी रहते हों तब भी आपने बसों या रेल में सफर करते समय गाँव की नैसर्गिक सुंदरता को जरूर निहारा होगा। दूर दूर तक ऐसा लगता है जैसे हरे रंग की मखमल की चादर बिछी हुई हो और उसपर जब सूरज की किरणें चमकती हैं तो लगता है जैसे किसी ने चांदी का जाल बिछा दिया हो। घास के हरे तन पर लगता है हरे वस्त्र हवा में हिल रहे हों। जब आप दूर क्षितिज पर देखेंगे तो लगेगा जैसे सांवली सी धरती पर निर्मल नीला आकाश अपने पलक बिछा रहा हो।
रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जौ गेहूं में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिनियाँ हैं शोभाशाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कली, तीसी नीली।
जौ और गेहूं में बालियाँ आ जाने से धरती खुशी से रोमांचित लग रही है। ये बालियाँ धरती की दंतपंक्तियों की तरह लग रही है। उस रोमांच की शोभा अरहर और सन वसुधा की करघनी बनकर बढ़ा रही हैं। सरसों के पीले फूल अपना तैलीय सुगंध बिखेर रहे हैं। साथ में तीसी के नीले फूल मानों नीलम पत्थर के नगीने की तरह दिख रहे हैं।
रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हंस रहीं सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकी
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी।
फिरती है रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते ही फूल स्वयं
उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर।
मटर के पौधे ऐसे लग रहे हैं जैसे सखियाँ मखमल की पेटियों में बीज छिपा कर खड़ी होकर हंस रही हैं। रंग बिरंगी तितलियाँ रंगीले फूलों पर उड़ रही हैं और हवा के झोंके से जब फूल एक डाली से दूसरी डाली को छूते हैं तो लगता है वे खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। समूचे तौर पर देखा जाए तो रंगों की छटा बिखरी हुई है।
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