India Languages, asked by purvrajsinghchouhan0, 4 days ago

2. प्रस्तुत श्लोकस्य संप्रंसग व्याख्या कुरूता?
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्यणि न मनोरथेः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।​

Answers

Answered by namirata1
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Answer:

उद्यमी सिद्धांत रूप में काम करने का इरादा नहीं रखते थे।

न ही सुप्त शेरनी प्रविशांति मुखे मृग।

Explanation:

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