2) 'पर्वतों में प्राकृतिक सुंदरता' के विषय पर अपने विचार लिखिए।
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प्रकृति का स्वरूप अत्यन्त रमणीय होता है। नदी, वन, पर्वत, आकाश, समुद्र सभी सुन्दर लगते हैं किन्तु पर्वतीय क्षेत्रों की प्राकृतिक सुषमा ज्यादा मनोहारिणी होती है। प्रकृति के विविध स्वरूप पर्वतों पर दिखाई देते हैं। एक के साथ एक जुड़ी हुई पर्वत श्रृंखलाएँ, उन पर बने पथरीले रास्ते हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कहीं मजबूत चट्टानें होती हैं तो कहीं कमजोर चट्टानें भी होती हैं। ये चट्टानें एक दूसरे से जुड़कर पहाड़ी शिखरों का रूप लेती हैं। लाल-लाल चट्टानें देखने में सुन्दर लगती हैं। इन चट्टानों पर सीढ़ीनुमा खेत होते हैं। इनमें उगे हुए पौधे हरे-भरे और सुन्दर लगते हैं। पर्वतों पर घने जंगल होते हैं। इन वनों में चीड़, देवदार आदि अनेक प्रकार के वृक्ष होते हैं। कहीं-कहीं पर झाड़ियाँ भी पाई जाती हैं। वहाँ हरी-हरी लम्बी घास भी उगती है। इन वनस्पतियों से ढंके होने से पर्वत शिखरों की शोभा द्विगुणित हो जाती है। उनका ऊँचा माथा आकाश को छूता हुआ-सा प्रतीत होता है। इन पर्वतीय वनों में अनेक जीव-जन्तु रहते हैं। छोटे-छोटे कीट-पतंगों से लेकर हाथी, शेर, चीता आदि बड़े-बड़े पशु-पक्षी इन वनों में पाए जाते हैं। ये पशु-पक्षी बड़े मनोहर होते हैं। वनों तथा पशु संरक्षण उद्यानों में इनको देखने अनेक लोग जाते हैं। पर्वतों पर बहती नदियाँ अपने कल-कल स्वर से हमें आनन्द देती हैं, वहाँ वैसे जलाशयों-सरोवरों में स्वच्छ दर्पण जैसा जल भरा होता है। इनमें पर्वतों की मनोहर छवि दिखाई पड़ती है। पर्वतों की ऊँची चोटियाँ सफेद बर्फ से ढकी रहती हैं। यह बर्फ अत्यन्त सुन्दर होती है। सूर्य और चन्द्रमा के प्रकाश में वह रंग-बिरंगी और चमकीली लगती है। यहाँ सूर्य और चन्द्रमा का उदय और अस्त का दृश्य बहुत मनोहर होता है। अँधेरी रात में टिमटिमाते तारों की अपनी अलग ही छवि होती है। पर्वतों पर हिमपात के मनोहर दृश्य को देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं...
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