2 पद्यांश
वीर नारायण सिंह के नेतृत्व में सोनाखान गाँव के आसपास सभी किसान संगठित हो गए तथा उन्होंने
शपथ ली कि ये उनके नेतृत्व में अपने प्राणो की बलि देने के लिए तैयार है। वस्तुतः यह छत्तीसगढ का पहला
किसान संगठन था और वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ को प्रथम किसान नेता थे किसानो मे चेतना फैलाकर, उनकी
शक्ति को संगठित कर अत्याचारी शासन से लोहा लेने का कार्य पथमतः वीर नारायण सिहं ने ही किया। उनकी
सेना में किसान भी भरती हुए किंतु उनके पास न तो पर्याप्त हथियार थे और न ही कोई सैनिक प्रशिक्षण, किंतु उनके
पास अटूट मनोबल था और था स्वाधीनता के लिए संघर्ष का सवाल्प था। अत्याचार, अन्याय से लड़ने की प्रेरणा
थी। अट्ट मनोबल से बड़ा कोई हथियार नहीं होता। देखते-ही-देखते सोनाखान गाव एक फोजी छावनी में बदल
गया। जाल के बीच बसे इस आदिवासी गाव तीरकमानो एवं बंदूको की झनकार सुनाई पडने लगी । स्वाधीनता
को सघर्ष की पहली झनकार सोनाखान के जंगलों सेही उठी थी।
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I dont no
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