Music, asked by kg761178, 5 months ago

2.
राग अल्हैया बिलावल की पकड़ लिखें।​

Answers

Answered by Braɪnlyємρєяσя
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Explanation:



राग बिलावल में कोमल निषाद के प्रयोग से राग अल्हैया बिलावल का निर्माण हुआ है। इसके अवरोह में निषाद कोमल का प्रयोग अल्प तथा वक्रता से किया जाता है जैसे ध नि१ ध प। यदि सीधे अवरोह लेना हो तो शुद्ध निषाद का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा। इसी तरह अवरोह में गंधार भी वक्रता से लेते हैं जैसे - ध नि१ ध प ; ध ग प म ग रे सा। इस राग का वादी स्वर धैवत है परन्तु धैवत पर न्यास नहीं किया जाता। इसके न्यास स्वर पंचम और गंधार हैं। इस राग में धैवत-गंधार संगती महत्वपूर्ण है और इसे मींड में लिया जाता है।

यह उत्तरांग प्रधान राग है, इसका चलन और विस्तार तार सप्तक में अधिकता से किया जाता है। इस राग की प्रकृति में करुण रस का आभास होता है। इस राग में ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग अल्हैया बिलावल का रूप दर्शाती हैं -

सा रे ग ; ग म रे ग प ; प म ग ; रे ग रे सा ; ग म रे ग प ; ध ग म ग ; ग प ध म ग ; ग प ध नि सा' ; सा' रे' सा' ; सा' नि ध प ; ध नि सा' ; सा' नि ध प ; ध नि१ ध प ; ध ग म ग रे सा ;

Answered by amitsinghaniya309
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Answer:

राग बिलावल में कोमल निषाद के प्रयोग से राग अल्हैया बिलावल का निर्माण हुआ है।

...

स्वर लिपि

स्वर आरोह में मध्यम वर्ज्य। निषाद दोनों। शेष शुद्ध स्वर।

थाट बिलावल

वादी/संवादी धैवत/गंधार

समय दिन का प्रथम प्रहर

विश्रांति स्थान सा; ग; प; - सा'; प; ग;

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