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राजस्थानी भाषा के दैनिक जीवन में बोले जाने
वाले कम से कम २० वाक्य सीखिए।
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Answer:
अंधा की माखी राम उड़ावै। हिंदी - बेसहारे व्यक्ति का साथ भगवान देता है।
अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।
अंबर कै थेगलीं कोनी लागै।
अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । हिन्दी – मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।
अक्कल उधारी कोनी मिलै। हिंदी - अकल उधार में प्राप्त नहीं होती |
अक्कल कोई कै बाप की कोनी। हिंदी - अकल पर किसी का सर्वाधिकार नहीं है।
अक्कल बड़ी के भैंस।
अक्कल में खुदा पिछाणो।
अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय । पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।।
अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी जाट । तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।। हिंदी - बनिया घटना के आगे की सोचता है, जाट बादमें सोचता है, मुसलमान तुरंत निर्णय लेता है, परन्तु ब्राह्मण तो कुछ सोचता ही नहीं है |
अगस्त ऊगा, मेह पूगा । हिंदी -अगस्त माह शुरू होते ही वर्षा पहुँच जाती है |
अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते । हिंदी – ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।
अछूकाळ कादा में पीवै ।
अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है।
अटक्यो बोरो उधार दे ।
अठे किसा काचर खाय है।
अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।
अठे चाय जैंकी उठे बी चाय।
अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी।
अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख। हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।
अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख। हिंदी -बिना मांगे कीमती चीज मिल जाती है पर मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है।
अणमिले का सै जती हैं।
अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत।
अणी चूकी धार मारी।
अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर । हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।