2-रिक्त स्थानों की पूर्ति करो-
भाषा के शुद्ध रूप और सही प्रयोग का ज्ञान कराने वाले शास्त्र को
कहते हैं।
(ख) जब हम अपने मन के भावों को -
के माध्यम से व्यक्त करते हैं तो उसे सांकेतिक भाषा कहते हैं।
(ग) भावों और विचारों
के समर्थ माध्यम को ही भाषा कहते हैं।
(घ) हमारी राष्ट्रभाषा है।
(ड) हिंदी में सामान्य रूप से वाक्य में पहले कर्ता, फिर कर्म और अंत में -
आती है।
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(ख)८५२५१३३५२२८५३८५३९५२९२
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इसके भावों को प्रकट करने के लिए भाव वाच्य
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