2. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
3. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
4. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
Answers
निम्नलिखत प्रश्न डायरी का पन्ना पाठ से लिए गए है :
2. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?
उत्तर : सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था पर वह प्रबंध कर चुका था। स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह - जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकलने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी।
3. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर : सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज अपना पूरा योगदान दिया | स्त्रियों ने जगह-जगह में जुलूस निकले और जगह-जगह जा कर संदेश दिए | पुलिसवालों ने स्त्रियों पर लाठियां चलाई और उन्हें गिरफ्तार भी किया फिर वह निरंतर आगे बढ़ती रही है| झंडोत्सव जगह में पहुंचकर मोनुमेंट पर स्त्रियों ने झंडा फहराया |
4. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और काउंसिल दोनों नोटिस एक दुसरे के खिलाफ़ थे।
उत्तर : पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि कोई भी जनसभा करना या जुलूस निकालना कानून के खिलाफ़ होगा | सभा में भाग लेले वालों को दोषी माना जाएगा|
कौंसिल ने नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की खुशी मनाई जाएगी|
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डायरी का पन्ना
एक या दो वाक्य में उत्तर दीजिए -
1- सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस किस दिन मनाया गया ?
2- प्रचार में कितने पैसे खर्च किए गए ?
3- बाबू ने कहां झंडा गाडा और पुलिस ने क्या किया ?