(2) सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ, कि हाँ,
बहुत दिन हुए, हमें अपने मन के छंद छुए।
मगर...
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा, मेरे मन में जगी?
(क) 'मन के छंद छुए' पंक्ति से आप क्या समझते हैं?
(ख) पहली कठपुतली अपनी इच्छा पर पुनर्विचार करने पर विवश क्यों हो गई?
(ग) प्रस्तुत पद्यांश के माध्यम से कवि हमें क्या बताना चाहता है?
(घ) 'मगर' शब्द से किस मनोभाव की अभिव्यक्ति हुई है?
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मन के चंद chuye पंक्ति से हम यह समझते हैं कि कठपुतली अपने मन के करें बहुत दिन हो गए हैं वह भी स्वतंत्र होना चाहते हैं वह भी अपने पैर पर खड़े होना चाहते हैं
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