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सेठ जी के बच्चों की दशा के संबंध में क्या विचार हैं?
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अपने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह अपना स्वार्थ सिद्ध करने में भी पीछे नहीं हटता। स्वार्थ की इसी प्रवृत्ति के कारण आज चारों ओर ईर्ष्या, वैमनस्य, कटुता, अशांति आदि का बोलबाला हो गया है। हमारा कर्तव्य है कि हम परोपकारी बनें तथा दूसरों को भी सुखी बनाने की चेष्टा करें। हमें भारतीय संस्कृति के इस आदर्श को ध्यान में रखना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि हमारे पूर्वजों ने परोपकार के लिए अपना तन, मन, धन न्योछावर करने की परिपाटी निभाने में कभी कोई कसर नहीं उठा रखी थी।
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