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सेवा रूपी पारसमनी किसे कहेंगे । अपने विचार
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समाज मे पारसमणि का नाम आता है.
,कहा जाता है की वह लोहे को भी सोना बना देती है, हम जानना चाहेंगे की वह पारसमणि कहाँ मिलती है ? किसने उसको देखा है ? क्या कोई मणि या कोई यंत्र लोहे को सोना बना सकता है?
अगर कोई पारसमणि लोहे को सोना बना सकती है ,तो सारा लोहा सोनामय होजाता और सोने के रेट भी लोहे जैसे हो जाते ! फिर कहीं यह कहानी झूठी तो नही है ?
अब असली पारसमणि किसको कहते है ?
पारसमणि उसको कहते है जो चुम्बक की तरह अपनी ओर किसी को आकर्षित कर ले !
ऐसे पारसमणि बुद्ध जी थे , जिन्हो ने एक वेश्या का कायाकल्प कर दिया था और वह उनकी शिष्य बन गयी थी. एक अंगुलींमाल दैत्य अपराधी था जो इसको उन्होने साहस करके अपना शिष्य बना लिया था !
महात्मा गाँधी भी कहे जा सकते है, जिनके जीते जी ह्जारो लाखो उनके मुरीद व्यक्ति बन गये थे एक गांधीवाद का जन्म भी हुआ था! बाद मे जरूर उनके नकली शिष्य गाँधी जी के विचारो की हत्या करने कोई कसर नही छोड़ते है !
पारसमणि स्वामी दयानंद जी को भी कहा जा सकता है, जिनके विचारो को सुनकर कानपुर मे बहुत से मूर्तिपूजक अपने घरो से मूर्तिया निकालकर गंगा नदी मे बहाने ले जाने लगे थे ! शिवाला प्रबंधको को अपील करनी पड़ी थी की जिनको मूर्ति की पूजा नही करनी है वह अपने घरो की मूर्तियाँ गंगा नदी मे बहाने के बजाये शिवाला मंदिर मे जमा कर दे!
पंजाब के मुंशीराम जी थे, जो एक कोतवाल के पुत्र थे वेश्यागामी, शराब आदि के अवगुन उनके पास थे , ईश्वर् अविश्वासी भी थे ,एक बार स्वामी दयानंद जी के विचार सुनकर अपना कायाकल्प कर लिया था अपने सारे अवगुन छोड़कर दयानंद जी के शिष्य बन गये थे , और आजीवन आर्य समाज के विचारो का प्रचार करते रहे उन्होने हरिद्वार मे गुरुकुल खोला , सबसे पहले अपने दोनो पुत्रो को उसमे प्रवेश दिलाया ! विदेशी विचारधरा वाले कई हजार मुस्लिमो व ईसाइयो को वैदिक धर्म मे प्रवेश करवाया एक शुद्धि आन्दोलन खड़ा कर दिया था बाद मे मतांध अब्दुल रशीद ने धोखा देकर उनकी हत्या कर दी थी!
दुर्भाग्य से आज उनके शिष्य कहलाने वाले आर्य समाजी काहिल हो चुके है वर्ना आज आर्य समाज एक बहुत बड़ा प्रभावशाली संघठन आवश्य होता!
हमारे इस विचारो की आलोचना भी हो सकती है और समर्थन भी संभव है हमसभी तरह के विचारो का स्वागत करने को उत्त्सुक रहेंगे .
इसी आशा मे …!