2.
स्वातंत्रय जाति की लगन व्यक्ति की धुन है,
बाहरी वस्तु यह नहीं भीतरी गुण है।
(ग) आवश्यकताओं का महत्व
निम्नलिखित काव्याश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए।
(1) छोडो मत अपनी आन सीस कट जाए।
मत झुको अनय, पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कठ धरता है,
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है,
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
तुम स्वयं मरण के मुख पर चाप धरो रे।
वीरत्व छोड पर का मत चरण गहो रे।
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे।
जे पड़े आन, खुद ही सब आग सहो रे।
(1) 'भले व्योम फट जाए' का आशय क्या है?
(क) भयकर वर्षा होना
(ख) आसमान से बिजली गिरना
(ग) भयकर मुसीबतें आ जाना (घ) आंधी-तूफान आ जाना।
(2) जीवन का आनद वही लोग ले सकते हैं जो लोग-
(क) मौज-मस्ती में जीवन का आनंद उठा सकने में समर्थ हैं
(ख) आनंद को ही जीवन उद्देश्य मानते हैं और आनंद से जीते हैं
(ग) आन-मान-मर्यादा के लिए मरने से नहीं डरते है
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(1) छोडो मत अपनी आन सीस कट जाए।
मत झुको अनय, पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कठ धरता है,
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है,
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
तुम स्वयं मरण के मुख पर चाप धरो रे।
वीरत्व छोड पर का मत चरण गहो रे।
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे।
जे पड़े
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