Hindi, asked by pshalu210, 2 months ago

2.
सवैया से
1. नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हा
'अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा'-किसने कि
और क्यों?
3. राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की?
दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।
5. पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।
अनुमान और कल्पना
- गरमी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने
होते और पाँत भोलेने​

Answers

Answered by rsingh82083
13

Answer:

उत्तर-1

नगर से बाहर निकलकर दो पग अर्थात थोड़ी दूर चलने के बाद सीता जी के माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं। उनके कोमल ओठ सूख गए। वे शीघ्र ही थक गईं।

उत्तर-2

‘अब और कितना दूर चलना है, पर्नकुटी कहाँ बनाइएगा’ ये शब्द सीता जी ने श्रीराम से पूछे क्योंकि वे बहुत अधिक थक गई थीं।

उत्तर-3

राम ने जब देखा कि सीता थक चुकी हैं, तो वह देर तक बैठकर पैरों से काँटे निकालने का अभिनय करते रहे, जिससे सीता को कुछ देर आराम करने का मौका मिल जाए और उनकी थकान कम हो जाए।

उत्तर-4

पहले सवैये में वन जाते समय सीता जी की व्याकुलता एवं थकान का वर्णन है। वे अपने गंतव्य के बारे में जानना चाहती हैं। पत्नी सीता की ऐसी बेहाल अवस्था देखकर रामचंद्र जी भी दुखी हो जाते हैं। जब सीता नगर से बाहर कदम रखती हैं तो कुछ दूर जाने के बाद काफ़ी थक जाती हैं। उन्हें पसीना आने लगता है और होंठ सूखने लगते हैं। वे व्याकुलता से श्रीराम से पूछती हैं कि अभी और कितना चलना है तथा पर्णकुटी कहाँ बनाना है? इस तरह सीता जी की व्याकुलता को देखकर श्रीराम की आँखों में आँसू आ जाते हैं। दूसरे सवैये में श्रीराम और सीता की दशा का मार्मिक चित्रण है। इस प्रसंग में श्रीराम व सीता जी के प्रेम को दर्शाते हुए कहा गया है कि कैसे श्रीराम सीता के थक जाने पर अपने पैरों के काँटे निकालते हैं और सीता जी श्रीराम का अपने प्रति प्रेम देखकर पुलकित हो जाती हैं।

उत्तर-5

वन का मार्ग अत्यंत कठिन था। यह मार्ग काँटों से भरा था। उस पर बहुत सँभलकर चलना पड़ रहा था। रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं था। रास्ते में खाने की वस्तुएँ नहीं थीं। पानी मिलना भी कठिन था। चारों तरफ सुनसान तथा असुरक्षा का वातावरण था।

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Answered by hariraj401769
2

Answer:

उत्तर 1. नगर बाहर निकलकर दो पग अर्थात थोडी दूर चलने के बाद सीताजी के माथे पर पसीने की बूँदें झलकने लगी । उनके कोमल होंठ सूख गए । वे शीघ्र ही थक गईं ।

उत्तर 2. अब और कितनी दूर चलना है , पर्नकुटी कहाँ बनाइएगा ये शब्द सीता माता जी ने श्रीराम से पूछे क्योंकि वे बहुत अधिक थक चुका थी ।

उत्तर 3. राम ने जब देखा कि सीता माता थक चुकी हैं , वे देर तक बैठकर पैरों से कॉटे निकालने लगे । उन्हें लगा क इसी सीता जी भी आराम कर लेंगी और उनकी थकान मिट जाएगी ।

उत्तर 5. वन का मार्ग अत्यंत कठिन था । यह मार्ग कॉटों से भरा था । उस पर बहुत सॅभलकर चलना पड़ रहा था । रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं था । रास्ते में खाने की वस्तुएँ भी नहीं थी । पानी मिलना भी कठिन था । चारों ओर सूनसान और असुरक्षा का वातावरण था ।

गर्मी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाय और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी।

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