2. शरीर को एक मशीन क्यों माना जा सकता है?
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- इस अंक से यह श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। इसमें मानव शरीर के विविध तंत्रों की सामान्य विवेचना की गई है।
- अाज से लगभग तीन सदी पहले फ्रांसिसी दार्शनिक देकार्ते ने कहा था कि इंसान मशीन है। देकार्ते का मानना था कि समस्त पशु मशीनें हैं और इंसान एक ऐसी मशीन है। जिसका संचालन आत्मा करती है। यूनानी और रोमन दार्शनिकों के मन में ऐसा विचार कभी नहीं आया क्योंकि उन्होंने तीर-कमान और घिरनियों से ज्यादा पेचीदा मशीनें देखी ही नहीं थीं। जब घड़ी जैसी अत्यंत पेचीदा मशीनें बनाई जाने लगीं तो इंसान के मशीन होने जैसा विचार संभव लगने लगा।
- ज़ाहिर है कि यह एक उपयोगी विचार है क्योंकि हम अपने शरीर के हिस्सों के बारे में ठीक वैसे ही सवाल पूछ सकते हैं जैसे मशीनों के बारे में पूछते हैं। हृदय का काम क्या है और यह कैसे काम करता है? इसका काम है खून को पूरे शरीर में पंप करना, जैसे कई मोटरों में ऑइल पंप होता है जो मोटर में तेल पंप करता है। और हृदय में भी पंप की ही तरह वॉल्व तथा अन्य उपांग होते हैं।
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