2 shloks on lokmana Sanskrit word along with their meaning
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1. अग्निशेषम् ऋणशेषम् शत्रुशेषम् तथैव च |
पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्मात् शेषम् न कारयेत् ||
If a fire, a loan, or an enemy continues to exist even to a small extent, it will grow again and again; so do not let any one of it continue to exist even to a small extent.
यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नही रहने देना चाहिए । इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए ।
2. पृथिव्याम् त्रीणि रत्नानि जलमन्नम् सुभाषितम् |
मूढै: पाषाणखण्डेषु रत्नसञ्ज्ञा प्रदीयते ||
There are three jewels on earth: water, food, and adages. Fools, however, regard pieces of rocks as jewels.
पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं जल अन्न और अच्छे वचन । फिर भी मूर्ख पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं |