2) तानसेन बैजू के चरणों में कैसे गिर पड़ा?
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Explanation:
तानसेन अकबर के दरबार के नौ रत्नों में गिने जाते थे। इसी काल में बैजू बावरा की संगीत साधना चरमोत्कर्ष पर थी। किंवदंती है कि अकबर ने अपने दरबार में एक संगीत प्रतियोगिता किया आयोजन रखा। इस प्रतियोगिता की यह शर्त थी कि तानसेन से जो भी मुक़ाबला करेगा, वह दरबारी संगीतकार होगा और हारे हुए प्रतियोगी को मृत्युदंड दिया जाएगा।
इस प्रतियोगिता में कोई भी संगीतकार इस शर्त के कारण सामने नहीं आया, लेकिन गुरु हरिदास की आज्ञा से बैजू ने संगीत प्रतियोगिता में भाग लिया। इस दौरान तानसेन ने टोड़ी राग गाया, जिससे हिरणों का झुंड इक_ा हो गया, तानसेन ने एक हार एक हिरण के गले में डाल दिया। संगीत खत्म होते ही हिरण जंगल में भाग गये।
इसके जवाब में बैजू बावरा ने राग 'मृग रंजनी टोड़ी गाया, हिरण फिर वापस आए और तानसेन का हार वापस आ गया।
इसके बाद बैजू ने 'मालकोस' राग गाया, जिसके प्रभाव से पत्थर मोम की तरह पिघल गया।