2. त्योहारों का महत्त्व
संकेत बिंदु-.
* विभिन्न क्षेत्रों के अपने-अपने त्योहार
विभिन्न प्रकार के त्योहार
त्योहारों का महत्त्व
त्योहारों के स्वरूप में परिवर्तन
*
Answers
हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अत्यंत दुर्लभ है और अद्भुत भी है। इस दुर्लभता ओर अदभुत स्वरूप में आनंद और उल्ल्लास कि छटा दिखाई देती है। हमारे देश मे जो भी त्योहार या पर्व मनाए जाते है, उनमे अनेकरूपता दिखाई पड़ती है। कुछ त्योहार ऋतू ओर मौसम के अनुसार मनाए जाते है, तो कुछ सांस्कृतिक या किसी घटना विशेष से सम्बंधित होकर सम्पन्न होते है।
हमारे देश में त्योहार का जाल बिछा हुआ है। यो कहा जाए, जो कोई बहुत बड़ी अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होगी कि यहाँ आये दिन कोई-न-कोई त्योहार पड़ता ही रहता है। ऐसा इसलिए कि हमारे देश के ये त्यौहार किसी एक ही वर्ग, जाती या सम्प्रदाय से ही सम्बंधित नहे होते हैं अपितु ये विभिन्न्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायों के द्वारा सम्पन्न और आयोजित होते रहते है। इसलिए ये त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक होते है। इन सभी प्रकार के त्योहार का कुछ न कुछ विशिष्ट अर्थ होता है। इस विशिष्ट अर्थ के साथ इनका कोई न कोई महत्व भी अवश्य होता है। इस महत्व में मानव की प्रकृति और दशा किसी-न-किसी रूप में अवश्य झलकती है।
त्योहार का महत्व:-हमारे देश मे त्योहार का महत्व नःसंदेह है। इन त्योहार का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता-समृधि, प्रेम-एकता, मेल-मिलाप के दृष्टि से है। साम्प्रदायिक -एकता, धार्मिक -समन्वय, सामाजिक-समानता को हमारे भारतीय त्योहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर उतपन्न करते चलते है। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्योहार अपने अपार उल्लास और आनन्द के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप ईन त्योहार के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका। इन त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, अवश्यमेव श्रद्धा और विशवास; नेतिकता ओर विशुद्धता का परिचायक है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ट भावना का जन्म होता है।
हमारे देश में विभिन्न त्योहार:-मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शो को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो श्रंखलाबद्ध है। एक त्योहार समाप्त हो रहा हो अथवा जैसे ही समाप्त हो गया, वैसे दूसरा त्योहार आ धमकता है। तातपर्य यह है कि पूरे वर्ष हम त्योहारो के मधुर मिलन से जुड़े रहते है। हमे कभी भी फुरसत नही मिलती है हमारे देश के प्रमुख त्योहार में नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, दीपावली, होली, ईद मुहर्रम, बकरीद, क्रिसमस, ओणम, बैसाखी, रथयात्रा , 15 अगस्त, 2 अक्टूबर, 26 जनवरी, गुरुनानक जयंती, रविदास जयंती, 14 नवम्बर, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, राम नवमी आदि ह।
विश्व भर में भारत ही एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। हर धर्म के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार अपने त्योहार मनाते है। भारत को धर्मनिरपेक्ष देश भी कहा जाता है। यहां सभी लोग एक साथ मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहते है। वे अपने और अन्य धर्मों के त्योहार को भी बड़ी धूमधाम से मनाते है। इनका हर्षोल्लास इन त्योहारों के समय देखा जा सकता है। हर धर्म के त्योहारों का अपना महत्व और विशेषताएं होती है। महिलाओं और बच्चों में त्योहार का एक अलग उत्साह और जोश देखा जा सकता है।