2.
तत्पुरुष समास के निम्नलिखित उदाहरणों का विग्रह कीजिए तथा बताइए कि ते तत्पुरुष
समास के किस भेद के अंतर्गत आते हैं
मुंहमांग
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Answer:
muh se mang
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तत्पुरुष समास की परिभाषा
तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।
तत्पुरुष समास के उदाहरण :
मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार
काल को जीतने वाला — कालजयी
राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही
खुद को मारने वाला — आत्मघाती
मांस को खाने वाला — मांसाहारी
शाक को खाने वाला — शाकाहारी
तत्पुरुष समास के भेद
कारक चिन्हों के अनुसार इस समास के छः भेद हो जाते है।
कर्म तत्पुरुष समास
करण तत्पुरुष समास
सम्प्रदान तत्पुरुष समास
अपादान तत्पुरुष समास
सम्बन्ध तत्पुरुष समास
अधिकरण तत्पुरुष समास
1. कर्म तत्पुरुष समास :
यह समास ‘को’ चिन्ह के लोप से बनता है। जैसे :
ग्रामगत : ग्राम को गया हुआ।
यशप्राप्त : यश को प्राप्त।
स्वर्गगत : स्वर्ग को गया हुआ।
ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने वाला।
माखनचोर : माखन को चुराने वाला।
सम्मानप्राप्त : सम्मान को प्राप्त
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में को योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण कर्म तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
परलोकगमन : परलोक को गमन।
शरणागत : शरण को आया हुआ।
आशातीत : आशा को लाँघकर गया हुआ।
सिरतोड़ : सिर को तोड़ने वाला।
गगनचुम्बी : गगन को चूमने वाला।
रथचालक : रथ को चलाने वाला।
जेबकतरा : जेब को कतरने वाला।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं की यहाँ भी सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में को योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण कर्म तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
2. करण तत्पुरुष समास :
यह समास दो कारक चिन्हों ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से बनता है। जैसे:
करुणापूर्ण : करुणा से पूर्ण
शोकाकुल : शौक से आकुल
वाल्मीकिरचित : वाल्मीकि द्वारा रचित
शोकातुर : शोक से आतुर
कष्टसाध्य : कष्ट से साध्य
मनमाना : मन से माना हुआ
शराहत : शर से आहत
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में से योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण करण तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
अकालपीड़ित : अकाल से पीड़ित
भुखमरा : भूख से मरा
सूररचित : सूर द्वारा रचित
आचार्कुशल : आचार से कुशल
रसभरा : रस से भरा
मनचाहा : मन से चाहा
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में से योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण करण तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास :
इस समास में कारक चिन्ह ‘के लिए’ का लोप हो जाता है। जैसे:
प्रयोगशाला : प्रयोग के लिए शाला
डाकगाड़ी : डाक के लिए गाडी
रसोईघर : रसोई के लिए घर
यज्ञशाला : यज्ञ के लिए शाला
देशार्पण : देश के लिए अर्पण
गौशाला : गौओं के लिए शाला
सत्याग्रह : सत्य के लिए आग्रह
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में के लिए योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण सम्प्र्दान तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
पाठशाला : पाठ के लिए शाला
देशभक्ति : देश के लिए भक्ति
विद्यालय : विद्या के लिए आलय
हथकड़ी : हाथ के लिए कड़ी
सभाभवन : सभा के लिए भवन
लोकहितकारी : लोक के लिए हितकारी
देवालय : देव के लिए आलय
राहखर्च : राह के लिए खर्च
4. अपादान तत्पुरुष समास :
इस समास में अपादान कारक के चिन्ह ‘से’ का लोप हो जाता है। जैसे:
ऋणमुक्त : ऋण से मुक्त
धनहीन : धन से हीन
गुणहीन : गुण से हीन
विद्यारहित : विद्या से रहित
पथभ्रष्ट : पथ से भ्रष्ट
जीवनमुक्त : जीवन से मुक्त
रोगमुक्त : रोग से मुक्त
बंधनमुक्त : बंधन से मुक्त
दूरागत : दूर से आगत
जन्मांध : जन्म से अँधा
नेत्रहीन : नेत्र से हीन
पापमुक्त : पाप से मुक्त
जलहीन : जल से हीन
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास
सम्बन्ध कारक के चिन्ह ‘का’, ‘के’ व ‘की’ का लोप होता है वहां सम्बन्ध तत्पुरुष समास होता है। जैसे:
भूदान : भू का दान
राष्ट्रगौरव : राष्ट्र का गौरव
राजसभा : राजा की सभा
जलधारा : जल की धारा
भारतरत्न : भारत का रत्न
पुष्पवर्षा : पुष्पों की वर्षा
उद्योगपति : उद्योग का पति
पराधीन : दूसरों के आधीन
सेनापति : सेना का पति
राजदरबार : राजा का दरबार
देशरक्षा : देश की रक्षा
गृहस्वामी : गृह का स्वामी
6. अधिकरण तत्पुरुष समास :
इस समास में कारक चिन्ह ‘में’ और ‘पर’ का लोप होता है। जैसे:
गृहप्रवेश : गृह में प्रवेश
पर्वतारोहण : पर्वत पर आरोहण
ग्रामवास : ग्राम में वास
आपबीती : आप पर बीती
जलसमाधि : जल में समाधि
जलज : जल में जन्मा
नीतिकुशल : नीति में कुशल
नरोत्तम : नारों में उत्तम
गृहप्रवेश : गृह में प्रवेश