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दोहों को समझें :
1. ( मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं । मीठी वाणी से हम सबको अपने वश में कर सकते
हैं । मीठी वाणी से सब ओर शान्ति बनी रहती है। सबको सुख मिलता है। ठीक
इसके विपरीत कडुए वचन सबको दुःख पहुँचाते हैं ) मीठे वचन तो वशीकरण मंत्र
(सबको वश में करनेवाले) के समान है। इसलिए हमें कडुए वचन न बोलकर मीठी
वाणी ही बोलनी चाहिए।
आम तौर पर हमारी धारणा है कि जिसके पास पर्याप्त गाय-भैंस, हाथी या घोड़े
या धनरत्न, हीरा, मोती आदि हैं, वह सबसे बड़ा धनी है। लेकिन तुलसी दास के
अनुसार ये सारे धने होते हुए भी अगर मन में सन्तोष नहीं है तो ये सब मूल्य हीन
हैं । सन्तोष रूपी धन के सामने ये सब धूलि के बराबर तुच्छ हैं । क्योंकि इस प्रकार
के धनसे सुख, शान्ति नहीं मिलती ) मन चिंतित रहता
3. (जब क्रोध अधिक हो तो जीभ नहीं खोलनी चाहिए। क्रोध में मनुष्य कड़वी बातें बोल
जाता है । अर्थात् किसी को कुछ नहीं कहना चाहिए। ये कड़वी बातें तलवार से भी
अधिक घाव करती हैं। कड़वी बातों का प्रहार सीधे हृदय और मन पर होता है
तलवार शरीर पर घाव करती है, मगर कड़वी बातें दिल, मन को घायल करके अधिक
कष्ट देती है
hamein kya parihaar ya chordna chahiye??
ek ya do shabd mein di ji ye
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