2. दुख का अधिकार:- यदि आप उस बाजार की भीड़ में से एक होते तो क्या इस कहानी के दुखद अंत को सुखद अंत में बदलने की कोशिश करते यदि हां तो कैसे अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
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यदि मैं उस बाज़ार की भीड़ में से एक होता/होती तो मैं इस कहानी के दुखद अंत को सुखद अंत में बदलने की कोशिश जरूर करता/करती।
मैं उस बूढ़ी महिला से पूछता/पूछती की उसकी परेशानी क्या है की वो क्यों रो रही हैं? उसकी परेशानी जाने के बाद मैं उसको सहानुभूति देने की कोशिश करता/करती और साथ ही उसको चुप कराने की कोशिश भी करता/करती और आस पड़ोस के लोगों को समझाता/समझाती की हम सब को उस बूढ़ी महिला को शांत करना चाहिए और उसे हिम्मत देनी चाहिए और इस मुश्किल समय में हमे उसका हौसला बढ़ाना चाहिए नाकी उसे ताने देने चाहिए।
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