Hindi, asked by vandanashukla919, 8 months ago

2.
ठुमुकि चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया।
किलकि-किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाई मातु गोद लेत दशरथ की रनियाँ।
आँचल रज अंग झारि, विविध भाँति सो दुलारि।
तन मन धन वारि-वारि कहत मृदु वनियाँ।
तुलसीदास अति आनंद, देखके मुखारविंद।
रघुवर छवि के समान रघुवर छवि वनियाँ।
हार
तुलसीदार​

Answers

Answered by anusharad368
4

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों मैं श्री रामचन्द्र जी की बाल लीलाओ का वर्णन है तुलसीदास जी केहते की राम जी जब ठुमक ठुमक कर चलते है तो उनकी पायलो से अतयन्त मनोहर आवज आती है किलकारी मार कर जब वो उठने क प्रयत्न करते और गिर जाते है तब उनके शरीर पर लगी रज अत्यन्त मनोहर लगती है जब व्याकुल होकर उनकी माताए अर्थात दशरत की रानीया उन्हे गोद मे लेकर अतयन्त दुलार के साथ अपनी गोद में उठाकर धूल को हटाटी हैं और उनकी मनमोहक छवी पर बारी जाती है और उन्हें अनेक आसीश देकर कहती हैं की राम के समान केवल राम ही है

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