2. धनराज पिल्ले ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय
की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।
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धनराज पिल्लै एक महान हॉकी खिलाडी, जो इस समय भारतीय हॉकी टीम के प्रबंधक है |
धनराज पिल्लै का जन्म 16 जुलाई 1968 था | धनराज जी बहुत ही सामान्य परिवार से है, माता - पिता ने पैसो के अभाव में जन्मे चौथे पुत्र का नाम ''धनराज'' रखा
धनराज का बचपन ordinance factory staff colony में बीता , जहाँ उनके पिता बतौर ग्राउंडमैन का काम करते थे |
खुद धनराज टूटी हुई हॉकी और फेंकी हुई बॉल से खेला करते थे और ऐसे करने की प्रेरणा उन्हें उनकी माँ से मिलती थी
धनराज के बड़े भाई उनको टूटी हुई हॉकी स्टिक गुन्दर और सूत्री से बांध के देते थे और साथ ही एक बेकार सी बाल भी खेलने के लिए दिया करते थे | धनराज से कहा जाता-
तू इसी से प्रेक्टिस कर और जब तू अच्छा खेलने लगेगा तब तुझे अच्छी स्टिक मिलेगी और बड़े लोगो के साथ खेलने का मौका भी मिलेगा
धनराज 1985 के आस - पास अपने बड़े भाई के पास मुंबई चले गए और उनके गुइडेन्स में प्रशिक्षण लेने लगे |
धनराज पिल्लै का करियर दिसंबर 1989 से अगस्त 2004 तक रहा और इस दौरान उन्होंने 339 अंतराष्ट्रीय मैच खेले |
वर्ष 1999-2000 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया
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Q.1.- धनराज पिल्लै के स्वभाव की क्या क्या विशेषताएं थी?
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Q.2.- मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है'-धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
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धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की। उनका यह सफर बेहद ही संघर्षपूर्ण रहा। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनकी माता जी उनका भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से कर पाती थी।