English, asked by mohansahu10091, 6 months ago

2 "धर्मदास के पदों पर कबीर-वाणी का प्रभाव है।" इस कथन के प्रकाश में
धर्मदास के पदों का मूल्याकन कीजिए।
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Answered by shishir303
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धर्मदास के पदों पर कबीर-वाणी का प्रभाव गहरे स्तर पड़ा है। धर्मदास कबीर के प्रमुख शिष्य थे, कबीर दास के परलोक गमन के बाद कबीर का उत्तराधिकार उन्हें ही मिला था।

झरि लागै महलिया गगन घहराय।

खन गरजै, खन बिजली चमकै,

लहरि उठै शोभा बरनि न जाय।

सुन्न महल से अमृत बरसै,

प्रेम अनंद ह्नै साधु नहाय खुली केवरिया,

मिटी अन्धियरिया, धानि सतगुरु जिन दिया लखाय।

धरमदास बिनवै कर जोरी,

सतगुरु चरन में रहत समाय।।

मितऊ मड़ैया सूनी करि गैलो।

अपना बलम परदेस निकरि गैलो,

हमरा के किछुवौ न गुन दै गैलो।

जोगिन होइके मैं वन वन ढूँढ़ौ,

हमरा के बिरह बैराग दै गैलो

सँग की सखी सब पार उतरि गइलीं,

हम धानि ठाढ़ि अकेली रहि गैलो।

धरमदास यह अरजु करतु है,

सार सबद सुमिरन दै गैलो

धर्मदास के पदों में कबीर की अपेक्षा तीखापन कम रहा है। उनके पद सरलता लिये रहे हैं, उन्होंने अपने पदों की भाषा कबीर की अपेक्षा कम कठोर रखी है। उनके पद भी कबीर की ही भांति निर्गुण भक्ति की भावना से ओतप्रोत रहे हैं। उन्होंने अपने पदों में पूरबी भाषा का अधिक प्रयोग किया है।

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Answered by gokulsahu937
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Explanation:

धर्मदास के पदों पर कबीर वाणी का गहरा प्रभाव है इस कथन की समीक्षा

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