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'धरती-धन न अपना' उपन्यास के आधार पर भारतीय समाज में
व्याप्त जातिगत शोषण और सामाजिक असमानता पर प्रकाश
डालिए।
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'धरती-धन न अपना' उपन्यास के आधार पर भारतीय समाज में व्याप्त जातिगत शोषण और सामाजिक असमानता पर प्रकाश डालिए।
‘धरती धन न अपना’ उपन्यास ‘जगदीश चंद्र’ द्वारा लिखित उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 1972 में हुआ था। इ
इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने पंजाब के दोआब क्षेत्र के दलितों के जीवन की त्रासदी और सवर्ण वर्ग व तथाकथित उच्च जातियों द्वारा उनके शोषण दमन व उत्पीड़न की मार्मिक दशा का चित्रण किया है।
हमारे भारतीय समाज में गहराई तक व्याप्त जातिगत व्यवस्था व भेदभाव की त्रासदी व विडंबनाओं को इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने उभारने का प्रयत्न किया है। इस उपन्यास का मुख्य पात्र काली एक दलित युवक है, जो अपनी अभावग्रस्त जिंदगी से तंग आकर अपने गाँव से शहर की तरफ पलायन करता है।
शहर में 6 वर्ष तक परिश्रम करके अपने जीवन सुधार लेता है और कुछ कमाई कर लेता है। उसे फिर अपने गाँव की याद सताने लगती है, और गाँव का आकर्षण वापस उसे अपनों के पास खींच लाता है। गाँव में उसकी रिश्तेदार चाची ही है।
जब वह अपने गाँव वापस आता है तो देखता है कि गाँव पहले जैसा ही है अर्थात उसके दलित समाज के लोगों की अलग ही छोटी सी बस्ती है, जो गाँव के बाहर है। तथाकथित उच्च जाति के लोगों द्वारा अभी भी उनका शोषण किया जाता रहा है। उनके साथ छुआछूत वाला व्यवहार किया जाता है, और उन्हे गाँव से बाहर रहने को बहिष्कृत किया गया है।
शहर में कापी समय रहने के कारण काली अंदर जागरूकता और चेतना विकसित हो चुकी थी और वह अपना जीवन स्तर सुधारना चाहता है। ज्ञानो जो किस उपन्यास की मुख्य स्त्री पात्र है, उसके साथ काली प्रेम संबंध भी पनप जाता है। काली अपना कच्चा मकान पक्का बनवाना चाहता है। इन सब प्रयासों के बीच में अपने आत्मसम्मान को भी विकसित करता रहता है, लेकिन गाँव के सवर्ण लोगों द्वारा किसी दलित जाति के व्यक्ति का आत्म सम्मान से जीना खलने लगता है, क्योंकि वह हमेशा दलितों को दमन करके रखना चाहते हैं। इस बातों के कारण हुए संघर्ष में कुछ ऐसी परिस्थितियां जन्म लेती हैं और ऐसी घटनाएं होती हैं कि काली की ना केवल सारी कमाई लुट जाती है, बल्कि वह कई लोगों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। उसकी प्रेमिका ज्ञानो और उसके बीच प्रेम संबंध लोगों को स्वीकार नहीं होता और उसकी प्रेमिका की हत्या कर दी जाती है। अंततः निरंतर होने वाली प्रताड़ना और शोषण से तंग आकर वापस अपने गाँव को छोड़ कर चला जाता है।
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