2. उपयुक्त कारक-चिह्न लगाकर वाक्य पुनः लिखिए- (क) काका कालेलकर नदियों लोकमाता कहा है।
(ख) माँ गोद तरह गंगा धारा डुबकी लगाता।
(ग) कठपुतली गुस्से उबली।
(घ) प्लेटलैट कण कमी डेंगू बीमारी होती है।
( ङ) बाढ़पीड़ितों भोजन पैकेट भिजवाए गए।
(च) माधवदास वह चिड़िया बड़ी मनमानी लगी।
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परिभाषा – क्रिया के कर्त्ता को कारक कहते हैं। जिन शब्दों का क्रिया के साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध होता है उन्हें कारक कहा जाता है अर्थात क्रिया को करने वाला कारक कहलाता है।
ये शब्द संज्ञा एवं सर्वनाम शब्दों का वाक्य की क्रिया के साथ संबंध प्रकट करते हैं। हिंदी व्याकरण में आठ (8) कारक होते हैं — कर्त्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण, संबोधन कारक।
नोट – संस्कृत में कारकों की संख्या 6 मानी जाती है।
— क्रिया की सिद्धि में सहायक को कारक कहा जाता है। इस परिभाषा के अनुसार संबंध व संबोधन का क्रिया के साथ प्रत्यक्षतः कोई संबंध नहीं होता है, अतः ये कारक के अंतर्गत नहीं आते हैं किंतु इनका व्यवहार कारकों के समान ही होता है, इसीलिए इनकी गणना कारकों में की जाती है।
— सर्वनाम शब्दों में 7 कारक होते हैं क्योंकि वहाँ संबोधन कारक नहीं होता है।