2. उत्तर दीजिए
1. गुरुकुल की क्या विशेषता थी?
2. आचार्य ने अपने शिष्यों के सामने क्या समस्या रखी?
3. आचार्य ने धनी विद्यार्थियों का प्रस्ताव स्वीकार क्यों नहीं किया?
4. आचार्य ने क्या उपाय बताया?
5. एक विद्यार्थी कुछ भी क्यों न ला सका?
6. आचार्य ने उस शिष्य को गले से क्यों लगा लिया?
7. अनुचित ढंग से धन लाने की आज्ञा देने में आचार्य का क्या उद्देश्य था?
8. इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
Answers
Answer:
ऐसे विद्यालय जहाँ विद्यार्थी अपने परिवार से दूर गुरू के परिवार का हिस्सा बनकर शिक्षा प्राप्त करता है।[1] भारत के प्राचीन इतिहास में ऐसे विद्यालयों का बहुत महत्व था। प्रसिद्ध आचार्यों के गुरुकुल में पढ़े हुए छात्रों का सब जगह बहुत सम्मान होता था। राम ने ऋषि वशिष्ठ के यहाँ रह कर शिक्षा प्राप्त की थी। इसी प्रकार पाण्डवों ने ऋषि द्रोण के यहाँ रह कर शिक्षा प्राप्त की थी।
प्राचीन भारत के गुरूकुलों के अंतर्गत तीन प्रकार की शिक्षा संस्थाएँ थीं-
(१) गुरुकुल- जहाँ विद्यार्थी आश्रम में गुरु के साथ रहकर विद्याध्ययन करते थे,
(२) परिषद- जहाँ विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा दी जाती थी,
(३) तपस्थली- जहाँ बड़े-बड़े सम्मेलन होते थे और सभाओं तथा प्रवचनों से ज्ञान अर्जन होता था। नैमिषारण्य ऐसा ही एक स्थान था।
गुरुकुल आश्रमों में अनादिकाल से ही करोड़ों विद्यार्थी विद्या-अध्ययन करते रहे हैं।भारतवर्ष के गुरुकुल आश्रमों के आचार्यों को उपाध्याय और प्रधान आचार्य को 'कुलपति'या महोउपाध्याय कहा जाता था । रामायण काल में वशिष्ठ का बृहद् आश्रम था जहाँ राजा दिलीप तपश्चर्या करने गये थे, जहाँ विश्वामित्र को ब्रह्मत्व प्राप्त हुआ था। इस प्रकार का एक और प्रसिद्ध आश्रम प्रयाग में भारद्वाज मुनि का था।[
Explanation:
आचार्य ने धनी विद्यार्थियों का प्रस्ताव स्वीकार क्यों नहीं किया?