Biology, asked by laxmirathiana, 15 hours ago

2 वैश्विक उष्णता वृद्धि को नियंत्रित करने के क्या उपाय हैं ? कोई छ: उपाय

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Answered by Anonymous
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Answer :

वैश्विक उष्णता मुख्यतः मानव की बढ़ती हुई आबादी तथा उसके क्रियाकलापों के कारण हो रही है । मानव द्वारा संसाधनों का दुरूपयोग , जैव ईंधन भंडार का ह्रास है । मानव क्रियाओं द्वारा वातावरण में

की मात्रा एवं ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी तथा समताप मंडल की ओजोन परत का ह्रास आदि इसके प्रमुख कारण है जो वैश्विक उष्णता में वृद्धि एवं भूमंडलीय पर्यावरण लाने के लिए जिम्मेदार है । <br> ग्रीन हॉउस प्रभाव के अंतर्गत पृथ्वी की और आने वाले सौर विकिरण का लगभग एक - चौथाई भाग बादलों और गैसों से परावर्तित (Reflect) हो जाता है तथा दूसरा चौथाई भाग वायुमंडलीय गैसों द्वारा अवशोषित हो जाता है । लगभग आधा आने वाला (Incoming) सौर विकिरण पृथ्वी की सतह पर पड़ता है और उसे गर्म करता है व इसका कुछ भाग प्रवर्तित होकर लौट जाता है । पृथ्वी की सतह अंतरिक्ष (Space) में अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation) के रूप में उष्मा उत्सर्जित करती है , किन्तु इसका बहुत छोटा भाग ही अंतरिक्ष में जाता है क्योंकि इसका अधिकांश भाग वायुमंडलीय गैसों (

, मेथेन , जलवाष्प , नाइट्रस ऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरो कार्बन ) के द्वारा अवशोषित हो जाता है । पूर्ण विश्वव्यापी उष्णता के लिए विभिन्न गैसों के योगदान को चित्र में दर्शाया गया है । इन गैसों के अणु (Molecules) उष्मा ऊर्जा (Heat Energy) विकरित करते है और इसका अधिकतर भाग पृथ्वी की सतह पर पुनः आ जाता है और इसे फिर से गर्म करता है । यह चक्र अनेकों बार होता रहता है । इस प्रकार पृथ्वी की सतह और निम्नतर वायुमंडल गर्म होता रहता है । ऊपर वर्णित गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है क्योंकि इसके कारण ही ग्रीन हाउस प्रभाव होता है । ग्रीन हॉउस गैसों के स्तर में वृद्धि के कारण पृथ्वी की सतह का ताप काफी बढ़ता जा रहा है , जिसके कारण विश्वव्यापी उष्णता हो रही है । गत शताब्दी में पृथ्वी के तापमान में

डिग्री सेंटीग्रेड वृद्धि हुई है । इसमें से अधिकतर वृद्धि पिछले तीन दशकों में ही हुई है । अनुमानतः सन 2100 तक विश्व का तापमान

डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ सकता है । वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान में इस वृद्धि से पर्यावरण में हानिकारक परिवर्तन होते है , जिसके परिणाम - स्वरूप विचित्र जलवायु - परिवर्तन ( जैसे कि El Nino Effect ) होते है । इसके फलस्वरूप ध्रुवीय हिम टोपियों और अन्य जगहों , जैसे हिमालय कि हिम चोटियों का पिघलना बढ़ रहा है । कई वर्षों बाद इससे समुद्र - तल का स्तर बढ़ेगा जो कई समुद्रतटीय क्षेत्रों को जलमग्न कर देगा ।

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