2) वेट बॉक्स में चारों का अनुपात 52:2:1 होता है क्या?
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हादसे या किसी और वजह से दांत हिलने लगे, आधा टूट जाए तो दांत को निकलवाने के साथ ही नया दांत तुरंत लगाया जा सकता है। ऐसी सुविधा केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग में शुरू हो चुकी है।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉ.कौशल किशोर अग्रवाल बताते हैं कि पहले दांत निकालने पर घाव भरने के बाद नया दांत लगाने के लिए मरीजों को करीब छह माह बाद बुलाया जाता था। दोबारा सर्जरी करनी पड़ती थी। इस तकनीक से मरीज को खाने-पीने में अधिक दर्द होता था।
अब इमीडिएट इंप्लांट टेक्नीक की मदद से दो से तीन घंटे में ही मरीजों को राहत मिल जाती है। डॉ कौशल के मुताबिक, इंप्लांट के आकार का मसूड़े में ड्रिल से रूट बनाया जाता है। इससे दांत की लंबाई और चौड़ाई पता चल जाती है।
इसके बाद मसूड़े के भीतर मौजूद हड्डी के अंदर ड्रिल से तीन चार एमएम का छेद बनाया जाता है। छेद करने के बाद इंप्लांट को उसमें स्क्रू और दो टांके की मदद से टाइट कर देते हैं और कैप (नकली दांत) लगा दिया जाता है।
दांत निकालने के साथ नया दांत लगाने के बाद मरीज को खाने-पीने में कोई दिक्कत नहीं होती है। इस प्रक्रिया में दो से तीन घंटे लगते हैं। डॉ. कौशल बताते हैं कि हर महीने 10 से 12 केस किए जा रहे हैं। मरीजों को कोई परेशानी नहीं हो रही है और सामान्य दांत की तरह ही नकली दांत भी चमकते रहते हैं।
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