2. विदेशी तीर्थयात्रियों के विवरणों से भारत के इतिहास के बारे में हमें क्या जानकारी मिलती है?
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मेगस्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी सम्राट सेल्यूकस के राजदूत के रूप में आया था।
इसने मौर्य कालीन भारत के बारे में अपने अनुभवों एवं विचारों को अपनी पुस्तक इण्डिका में लेखबद्ध किया है।यद्यपि मूल पुस्तक तो अप्राप्य है किन्तु परवर्ती लेखकों-एरियन,स्ट्रैबो,प्लिनी आदि की रचनाओं में उसकी पुस्तक के कुछ अंश उद्धृत किये गये हैं।
मेगस्थनीज के अनुसार भारतीय समाज में सात वर्ग थे।उसने दास प्रथा का उल्लेख नहीं किया है।किन्तु सती प्रथा का उल्लेख किया है।
उसके अनुसार भारतीय यूनानी देवता डायोनीसियस तथा हेराक्लीज की पूजा करते थे। वस्तुतः इससे शिव एवं कृष्ण की पूजा से तात्पर्य है।
उसने लिखा है कि भारत में दुर्भिक्ष नहीं पङते थे। उसके अनुसार मौर्य काल में नगर का प्रबंध एक नगर परिषद द्वारा होता था जिसमें पाँच-2 सदस्यों वाली छः समितियाँ काम करती थी।
इसने भारतीय पत्तनों, बंदरगाहों तथा व्यापारिक माल का वर्णन किया गया है। यह संगम युग का महत्वपूर्ण विदेशी साहित्यिक स्रोत है।