2. विद्यालय में बाल मेला पर अनुच्छेद लिखें l
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हमारे देश में बाल दिवस 14 नवम्बर के दिन अधिकतर स्कूलों में चिल्ड्रन फेयर अर्थात बाल मेले का आयोजन किया जाता हैं. बाल मेला पर निबंध में हम जानेगे कि बाल मेला क्या होता हैं कब आयोजित किया जाता हैं इसका महत्व क्या हैं बच्चों को इस तरह के आयोजनों से क्या क्या फायदा मिलता हैं.आरम्भिक शिक्षा में बाल मेला आयोजित किया जाता हैं कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के द्वारा इसका आयोजन किया जाता हैं. सभी कक्षाओं के बच्चें इस मेलें में शामिल होते हैं तथा आनन्द व हर्ष के साथ इस आयोजन का लुफ्त उठाते हैं.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे, आजादी के बाद उन्होंने देश की कमान सम्भाली तथा अगले एक दशक तक वे सर्वोच्च पद पर बने रहे. नेहरू का स्वभाव बेहद मिलनसार था विशेष कर बच्चों के प्रति उनका गहरा लगाव थे. इस कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में उन्हें पहचानते थे.
वर्ष 1925 में ही उनके जन्म दिन 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया गया. आजादी के बाद सभी विद्यालयों में इस दिन को एक पर्व की भांति मनाया जाने लगा. बाल दिवस के अवसर पर शिक्षण संस्थानों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं. खेल, प्रदर्शनी तथा बाल मेला इनमें प्रमुख हैं.
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आरम्भिक शिक्षा में बाल मेला आयोजित किया जाता हैं कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के द्वारा इसका आयोजन किया जाता हैं. सभी कक्षाओं के बच्चें इस मेलें में शामिल होते हैं तथा आनन्द व हर्ष के साथ इस आयोजन का लुफ्त उठाते हैं.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे, आजादी के बाद उन्होंने देश की कमान सम्भाली तथा अगले एक दशक तक वे सर्वोच्च पद पर बने रहे. नेहरू का स्वभाव बेहद मिलनसार था विशेष कर बच्चों के प्रति उनका गहरा लगाव थे. इस कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में उन्हें पहचानते थे.
वर्ष 1925 में ही उनके जन्म दिन 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया गया. आजादी के बाद सभी विद्यालयों में इस दिन को एक पर्व की भांति मनाया जाने लगा. बाल दिवस के अवसर पर शिक्षण संस्थानों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं. खेल, प्रदर्शनी तथा बाल मेला इनमें प्रमुख हैं.
आज दुनिया के लगभग सभी देशों में बाल दिवस मनाया जाता हैं. वर्ष 1954 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे हर वर्ष मनाने का निश्चय किया था. नन्हे मुन्हे बालकों को समर्पित इस दिन उनको लाड दुलार किया जाता हैं.
विद्यालय व कक्षाओं को सुंदर ढंग से सजाया सवारा जाता हैं. प्रदर्शनी, झांकी, नृत्य, नाटक एवं विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं. जिनमें सभी बच्चें अपनी प्रस्तुतियां देते हैं.
बाल मेले की तैयारी भी कई दिन पूर्व से चलती हैं तथा इस दिन प्रांगण को मेले का स्वरूप दिया जाता हैं जिसमें स्टाल तथा समस्त मेले के साधन उपलब्ध होते हैं.
बच्चों को इस तरह के कार्यक्रमों का इंतजार रहता हैं जब वे खूब नाच गाना व मन बहला सके. मेले में कई तरह की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है. इस दिन बच्चें नयें वस्त्र धारण कर विद्यालय आते हैं तथा अपने दोस्तों की टोली के संग मेले का लुफ्त उठाने के लिए जाते हैं.
सभी स्टूडेंट्स साथ मिलते जुलते हैं आपस में मिठाइयो का वितरण किया जाता हैं तथा विभिन्न कार्यक्रमों में श्रेष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता हैं.
इस तरह के बाल मेलों के आयोजन से बच्चों अपने भावों तथा सपनों को अपने साथियों के साथ साझा करते हैं. विद्यालय के प्रतिस्पर्धा के दौर से दूर जहाँ तनाव तथा अनुशासन के बंधन कम हो बच्चे अपने सपने दूसरों के साथ साझा करे आनन्द के प्रत्येक पल का अपने साथियो के संग लुफ्त उठाए.
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