2. विद्यापति भक्ति और श्रृंगार के कवि है : इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 350 word
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विद्यापति भक्ति और श्रृंगार के कवि है : इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
विद्यापति 14वीं शताब्दी में मैथिली भाषा के कवि थे, जिनका पूरा नाम विद्यापति ठाकुर था। उन्हें महाकवि और कवि कोकिल की उपाधि से विभूषित किया गया था। विद्यापति ने मैथिली भाषा में अनेक कविताओं की रचना की। मिथिलांचल में उस समय वे बेहद प्रसिद्ध कवि थे। वे शिव के अनन्य भक्त थे। उनकी रचनायें श्रंगार परम्परा और भक्ति परम्परा दोनों शैली में रही हैं। उन्हें ‘मैथिल कोकिल’ की उपाधि से विभूषित किया गया था।
विद्यापति को आदिकाल का कवि माना जाता है। विद्यापति ने संस्कृत भाषा में अनेक ग्रंथों की रचना की। इसके अलावा उन्होंने अवहट्ट और मैथिली भाषाओं में भी ग्रंथों की रचना की है। वह संस्कृत के प्रकांड पंडित और संस्कृत के साथ-साथ अवहट्ट और मैथिली भाषा में काव्य रचना की थी। इस तरह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका काल समय 1351 से 1449 ईस्वी के बीच का माना जाता है। उनका जन्म बिहार के मिथिला क्षेत्र में हुआ था और उन्हें आदिकाल का कवि माना जाता है।
उन्होंने संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और मैथिली भाषा में अनेक रचनाएं की। उनका उन्होंने पुरुष परीक्षा, भू-परिक्रमा, कीर्ति लता, कीर्ति पताका, गोरक्ष विजय, मणिमाजरा नाटिका जैसे ग्रंथों की रचना की थी। उपरोक्त पंक्तियां उनके ही एक काव्य ग्रंथ से संकलित है। विद्यापति धर्म-शास्त्र से संबंधित अनेक ग्रंथों की रचना की थी।
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