Hindi, asked by abhisheksahu5665, 3 months ago

2) वन के मार्ग का वर्णन अपने भाब्दों में लिखो।
3) समुदाय बोधक, संबंध बोधन और विस्मयादि बोधक की परिभाशा तथा उदाहरणलिखिए
निम्नलिखित पघा का संदर्भ प्रसंग और अर्थ लिखिए​

Answers

Answered by manishathakur1282mt
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Answer:

पुर तें निकसी रघुबीर-बधू,धरि धीर दये मग में डग द्वै।

झलकीं भरि भाल कनी जल की,पुट सूखि गये मधुराधर वै।।

फिरि बूझति हैं-”चलनो अब केतिक,पर्णकुटी करिहौ कित है?”

तिय की लखि आतुरता पिय की, अँखिया अति चारू चलीं जल च्वै।।

वन के मार्ग में

वन के मार्ग में

व्याख्या - प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास ने कहा है कि राम के वनवास के समय ,नगर के निकलते ही सीता जी कुछ दूर चलने में थक गयी।उनके माथे पर पसीना बहने लगा और ओंठ पानी न मिलने के कारण सूख गए।वे अपनी पति श्री रामचंद से पूछती है कि अभी कितनी दूर चलना है और पर्णकुटी कहाँ बनायेंगे। पत्नी सीता की आतुरता एवं दुःख देखकर श्रीराम की आँखों में आंसू आ जाते हैं।

जल कों गए लक्खनु, हैं लरिका,परिखौ, पिय! छाँह घरीक ह्वै ठाढ़े।

पोंछि पसेउ बयारि करौं , अरु पांय पखारिहौं भूभुरि-डाढ़े।

तुलसी रघुबीर प्रिया-श्रम जानि कै ,बैठि बिलंब लौं कंटक काढ़े।

जानकी नाहकौ नेहु लख्यौ,पुलकौ तनु, बारि बिलोचन बाढ़े।

व्याख्या - प्रस्तुत सवैया में तुलसीदास जी कहते हैं कि लक्ष्मण जी पानी की खोज में गए हैं। तब सीता जी अपने पति से कहती है कि जब तक लक्ष्मण जी पानी लेकर आते हैं।तब तक आप वृक्ष की छाया में आराम कर लीजियेगा। श्रीराम सीता जी के कहने पर वृक्ष की छाया में कुछ देर के लिए विश्राम करने लगते हैं। इसी बीच वे सीता जी के पैसे में काँटा गडा हुआ देखते हैं ,जिसे वे अपने हाथों से निकालना शुरू कर देते हैं ,जिसे देखकर सीता जी बहुत प्रसन्न हो जाती है।

Explanation:

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