2. वर्मी कम्पोस्टिंग- इस विधि में जैविक अपशिष्ट पदार्थों में लाल केंचुए (Red Earthworm) मिलाते हैं। ये केंचुए कार्बनिक पदार्थ खाते हैं। इनसे निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ उच्च गुणवत्ता युक्त खाद होता है जिसे वर्मी कम्पोस्ट खाद कहते हैं। यह प्रक्रिया वर्मी कम्पोस्टिंग कहलाती है।
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Explanation:
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वर्मीकम्पोस्टिंग एक दो विधि प्रक्रिया है
Explanation:
वर्मीकम्पोस्ट कीड़े की विभिन्न प्रजातियों, आमतौर पर लाल विग्लगर्स, सफेद कीड़े और अन्य केंचुओं का उपयोग करते हुए अपघटन प्रक्रिया का उत्पाद है, जो कि सड़ने वाली सब्जी या खाद्य अपशिष्ट, बिस्तर सामग्री, और वर्मीस्टास्ट का मिश्रण तैयार करता है। वर्मीकास्ट केंचुए द्वारा कार्बनिक पदार्थों के टूटने का अंतिम उत्पाद है।
वर्मीकम्पोस्टिंग में दो विधियाँ शामिल हैं:
1.) बेड मेथड: यह एक आसान विधि है जिसमें कार्बनिक पदार्थों के बेड तैयार किए जाते हैं।
2.) पिट विधि: इस विधि में, कार्बनिक पदार्थ को सीमेंट वाले गड्ढों में एकत्र किया जाता है। हालांकि, यह विधि प्रमुख नहीं है क्योंकि इसमें खराब वातन और जलभराव की समस्याएं शामिल हैं।
वर्मीकम्पोस्टिंग के लाभ
वर्मीकम्पोस्टिंग के प्रमुख लाभ हैं:
1.) मिट्टी की भौतिक संरचना में सुधार करता है।
2.) वर्मीकम्पोस्टिंग से मिट्टी की उर्वरता और जल-प्रतिरोध बढ़ता है।
3.) अंकुरण, पौधों की वृद्धि और फसल की उपज में मदद करता है।
4.) पौधे की वृद्धि हार्मोन जैसे ऑक्सिन, गिबेरेलिक एसिड, आदि के साथ मिट्टी का पोषण करता है।
5.) पौधों की जड़ों को विकसित करता है।