(2) यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे।
कतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते॥ hindi anuwaad
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आर्थात,
जिस मनुष्य के भविष्य मे करने योग्य कर्म से, विचारों से , निश्चित किये गए तत्वो से, शत्रु लोग अनभिज्ञ रहते हैं, वे केवल किये गए कर्मों से ही भिग्य हैं ऐसा व्यक्ति ही पंडित कहा जाता है।
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