20. क्रोध के कारण मनुष्य अपने आप में नहीं रहता है । राम लक्ष्मण परशुराम संवाद
कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
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क्रोध के कारण मनुष्य अपने आप में नहीं रहता है । राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
यह सत्य क्रोध क्रोध के कारण मनुष्य अपने आप में नहीं रहता है । वह क्रोध में आकर सोचने और बोलने की शक्ती को खो बैठता है और जो भी मन में आता है , वह कहने लगता है | वह गलत काम करने लगता है | जिस प्रकार राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता में परशुराम ने क्रोध में आकर राम जी को लक्ष्मण जी को बहुत कुछ कह दिया था | शिव के धनुष के टूटने के बाद परशुराम जी सुनकर परशुराम जी और क्रोधित हो जाते है और कहते है उसने इस धनुष को तोड़कर मुझे युद्ध के लिए ललकारा है इसलिए वो मेरे सामने आये।
क्रोध में किए गए सभी काम , हमें नुकसान पहुंचाते है | क्रोध शांत होने के बाद हमें बाद में हमेशा पछतावा होता है | हमें क्रोध नहीं करना चाहिए | क्रोध पर नियन्त्रण रखना चाहिए |